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Toggleक्या है इस आर्टिकल में (What Is In This Article)
म्यूचुअल फंड में निवेश के लिए आपको पहले ये जानना पड़ेगा की ये होते क्या है। आज आप म्यूचुअल फंड से कमाई कैसे करें, इसे हिन्दी में जान सकेंगे । इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद आप इक्विटी म्यूचुअल फंड के प्रकारों में फ़र्क कर पाएंगे। म्यूचुअल फंड में पैसा कैसे लगाएं , इसे आप ऐसेट ऐलकैशन में समझ लेंगे ।
म्यूचुअल फंड के Open Ended और Close Ended प्रकार होते हैं । आज हम Open Ended में इक्विटी म्यूचुअल के बारे में बताएंगे । Open Ended Fund को हम कभी भी खरीद या बेच सकते हैं।
इक्विटी म्यूचुअल फंड के प्रकार
इक्विटी म्यूचुअल फंड को 22 प्रकार में बांटा है जिसकी लिस्ट नीचे दी गई है
Large Cap Fund | Dividend Yield Fund |
Flexi Cap Fund | ETFs: Equity |
Focused Fund | ETFs: Global |
Mid Cap Fund | Sectoral Pharma |
Small Cap Fund | Sectoral: Auto |
Large & Mid Cap Fund | Sectoral: Banking |
Multi Cap Fund | Sectoral: Diversified |
Value Fund | Sectoral: Other Sectoral |
ELSS | Sectoral: FMCG |
Equity Index Funds | Sectoral: Foreign Equity |
Contra Fund | Sectoral: Infotech |
इस Article में आप लार्ज कैप से लेकर स्मॉल कैप फंड्स के बारे में जान पाओगे
म्यूचुअल फंड में पैसा कब लगाएं (When To Invest In Mutual Fund)
म्यूचुअल फंड में पैसा सैलरी के आते ही लगा देना चाहिए। यदि आपकी सैलरी 3 तारीख को आती है तो आपको दो दिन का गैप लेकर के 7 तारीख को पैसा म्यूचुअल फंड में लगा देना चाहिए। म्यूचुअल फंड में शुरुआत में पैसा क्यों लगाना चाहिए? यदि आप म्यूचुअल फंड में पैसा महीने के आखिर में लगाएंगे तो आपकी जमा करने की आदत छूट जाएगी और आप उसे पैसे को कहीं और खर्च कर देंगे। इसलिए सभी फाइनेंशियल एडवाइजर इन्वेस्टमेंट हमेशा सैलरी के आते ही करने की सलाह देते हैं।
इक्विटी म्यूचुअल फंड से पैसे कैसे कमाए (How To Earn From Mutual Fund)
इक्विटी म्यूचुअल फंड जैसे मैंने ऊपर बताया 22 प्रकार के होते हैं।इन सभी में पैसे कमाने की स्ट्रैटेजी अलग-अलग होती है।एक-एक करके मैं इस टॉपिक कोआगे बढ़ाऊंगा, आपको बताऊंगा कि हर एक तरीके की कैटेगरी में किस तरीके से पैसे कमाए जाते हैं।
लंबी अवधि में इक्विटी म्यूचुअल फंड में पैसे लगाने के फायदे (Benefit Of Investing For Long Term in Equity Mutual Fund)
म्यूचुअल फंड में सबसे पहले पैसा लगाने से पहले आपको यह जानना जरूरी है कि हमें इक्विटी म्यूचुअल फंड में हमेशा लंबी अवधि के लिए पैसा लगाना है।
अगर आप लंबी अवधि के लिए पैसा नहीं लगा सकते तो यह इक्विटी म्यूचुअल फंड आपके लिए नहीं है।कोई भी बिजनेस एक रात में खड़ा नहीं होता और कोई भी इन्वेस्टमेंट एक दिन में या एक महीने या 1 साल में रिटर्न नहीं देता।
रुपया लागत औसत (Rupee cost averaging )
म्यूचुअल फंड में लंबी अवधि में लगातार निवेश से औसत खरीद कम हो जाती है।इसको फाइनेंस की भाषा में Rupee Cost averaging कहा जाता है।
इन्वेस्टमेंट भावना का खेल ( Equity Investment Is Game Of Emotions)
यदि आप इन्वेस्टमेंट लंबी अवधि के लिए करेंगे और अपने मन में यह भावना अच्छी तरीके से बैठा लेंगे कि मुझे इन्वेस्टमेंट लंबी अवधि के लिए करना है तो आप भावनाओं के भंवर से बिल्कुल दूर हो जाएंगे।
म्यूचुअल फंड की इन्वेस्टमेंट वैल्यू किसी दिन 10% ज्यादा हो जाए और किसी दिन 10% कम हो जाए तो आप अपनी भावनाओं को जाँचें , क्या आप दोनों समय में एक जैसा महसूस करते हैं।
आपको अपने मन में एक भाव बैठना होगा कि आप स्टॉक मार्केट या म्यूचुअल फंड में इन्वेस्टमेंट से दिहाड़ी मजदूर की तरह नहीं कमाएंगे,बल्कि आप यह याद रखें कि आपने इन्वेस्टमेंट लंबी अवधि के लिए एक धन्ना सेठ बनने के लिए किया है। मेरा विश्वास रखें लंबी अवधि के लिए किया गया इन्वेस्टमेंट आपको कभी निराश नहीं करेगा।
लंबी अवधि में कंपाउंडिंग से फायदा (Benefits Of Compounding)
यदि आप लंबी अवधि के लिए निवेश करते हैं तो उससे आपको कंपाउंडिंग में फायदा मिलता है।लंबी अवधि में इन्वेस्टमेंट से आपका पैसा बिजनेस में rotate होता है,देसी बोलचाल की भाषा में इसको पैसों का घुमना बोलते हैं।
लंबी अवधि के लिए किया गया इन्वेस्टमेंट में जो फायदा होता है वह फायदा या प्रॉफिट आपका इस बिजनेस में दोबारा से लग जाता है। अगर आप लंबी अवधि के लिए पैसा नहीं इनवेस्ट करेंगे , उसको बार-बार निकाल कर आप अपने बैंक में रख लेंगे तो आपका कंपाउंडिंग से होने वाला फायदा खत्म हो जाएगा।
लंबी अवधि में टैक्स का फायदा (Long Term Tax Benefit in Mutual Fund)
जो छोटी अवधि में बार-बार पैसा लगाते हैं वें हमेशा टैक्स ज्यादा देते हैं क्योंकि उनके ऊपर ट्रांजैक्शन Cost बार-बार जुड़ जाती है। लंबी अवधि में कमाया गया इन्वेस्टमेंट के फायदे पर आपको 10% के हिसाब से टैक्स देना होता है छोटी अवधि के इन्वेस्टमेंट पर आपको 15% का टैक्स देना होता है।
मार्केट के बेहतरीन दिन (Best Days In Stock Market)
अगर आप लंबी अवधि के लिए म्यूचुअल फंड इन्वेस्टमेंट करते हैं तो आपको बढ़ोतरी के बेहतरीन दिन का फायदा आपको मिल सकता है। दुनिया में कोई भी व्यक्ति ऐसा नहीं है या कोई भी ऐसा एनालिसिस नहीं है कि आपको यह बता सके कि छोटी अवधि में कब स्टॉक मार्केट बढ़ेगा और कब स्टॉक मार्केट गिरेगा ।
अगर आपने गिरते बाजार में अपना पोर्ट्फोलीओ बेच दिया तो ज्यादा संभावना है कि आप बेहतरीन दिन को miss कर देंगे (ज्यादा जानकारी के लिए English में article यहाँ पढ़ें )
जो छोटी अवधि के लिए पैसा लगाते हैं वें हमेशा बढ़ते हुए बाजार में पैसा लगाते हैं,इससे होता यह है कि आप बेहतरीन दिन का फायदा खो देते हैं।
म्यूचुअल फंड में डायवर्सिफिकेशन के फायदे (Benefits Of Diversification In Mutual Fund)
म्यूचुअल फंड में डायवर्सिफिकेशन के क्या फायदे होते हैं यह मैं आपको निवेशक के नजरिए से समझाऊंगा फिर म्यूचुअल फंड कंपनी का नजरिए से समझाऊंगा । म्यूचुअल फंड के नजरिए से आप समझेंगे तो डायवर्सिफिकेशन का सही मतलब समझ पाएंगे और आप बहुत ही आत्मविश्वास से भर जाएंगे ।
डायवर्सिफिकेशन से निवेशक का फायदा (How Diversification Helps Investor)
अब नीचे दी गई टेबल पर ध्यान दें। 2014 से लेकर के 2023 अक्टूबर तक का डाटा मैंने लिया है,इसमें मैंने तीन कैटेगरी को सेलेक्ट किया है ,पहले इंडेक्स फंड जो स्टॉक मार्केट के उतार-चढ़ाव को दर्शाता है दूसरा गिल्ट फंड जो सरकार द्वारा जारी किए गए लॉन्ग टर्म बॉन्ड फंड होते हैं और तीसरा कमोडिटी फंड जिसमें गोल्ड सिल्वर फंड आते है।
आप टेबल में यह पाएंगे कि कभी भी तीनों कैटिगरी प्रति वर्ष एक समान रिटर्न नहीं देती है। उदाहरण के तौर पर 2014 में इक्विटी इंडेक्स फंड में 32.26% का रिटर्न दिया,जबकि कमोडिटी ने कोई रिटर्न नहीं दिया।
निवेशक यदि सही सलाह से अपने पोर्टफोलियो का डायवर्सिफिकेशन अच्छे से करें तो उसको अधिक फायदा होने की संभावना रहती है।वर्ष 2020 की में देखा जाए तो इक्विटी इंडेक्स 14.42% बढ़ा जबकि कमोडिटी इंडेक्स में 26.27% की बढ़ोतरी दर्ज हुई, यानी कमोडिटी ने ज्यादा रिटर्न दिया।
इस अध्ययन से यह पता लगा कि इक्विटी किसी साल अधिक बढ़ता है तो उसके मुकाबले कमोडिटी अच्छा परफॉर्म नहीं करता है और यदि कमोडिटी अच्छा करता है तो हो सकता है उस साल इक्विटी अच्छा ना करे ।
डायवर्सिफिकेशन से म्यूचुअल फंड कंपनी का फायदा(Benefit Of Diversification In Mutual Fund Companies)
आइए समझते है कि म्यूचुअल फंड का पोर्टफोलिओ कैसे diversification से सुरक्षित रहता है । नीचे एक Popular स्कीम का Sep 2023 का डाटा दिया गया है । आप देखेंगे कि Bajaj Holdings के shares 7.37% है ।
SEBI की गाइड्लाइन के अनुसार कोई भी Equity mutual fund किसी कंपनी के shares 10% से अधिक नहीं ले सकता । इससे होगा ये कि portfolio अच्छे से diversify हो जाएगा और पूंजी के नुकसान होने की संभावना कम हो जाएगी।
यदि हम एक परिकल्पना करें कि इस नीचे दिए portfolio में से एक कंपनी दिवालिया हो जाती है (जिसकी संभावना कम है ) तो कितना नुकसान होने की संभावना होगी।
Parag Parikh Flexi Cap Fund (G) Portfolio
Total 100%
Type | Name | 30-Sep-23 |
Equity | Bajaj Holdings | 7.37 |
Equity | ITC | 6.3 |
Equity | ICICI Bank | 5.31 |
Foreign Equity | Alphabet Inc A | 4.75 |
Equity | HCL Technologies | 5.2 |
Foreign Equity | Microsoft Corp | 4.49 |
Equity | Power Grid Corpn | 4.93 |
Equity | Axis Bank | 5.73 |
Foreign Equity | Amazon Com Inc | 3.36 |
Equity | Coal India | 4.98 |
Foreign Equity | Meta Platforms Registered Shares A | 3.44 |
Equity | Indian Energy Ex | 1.37 |
Equity | C D S L | 1.53 |
Equity | Motil.Oswal.Fin. | 1.56 |
Equity | NMDC | 1.81 |
Equity | Multi Comm. Exc. | 1.19 |
Equity | Dr Reddy’s Labs | 0.87 |
Equity | Zydus Lifesci. | 1.04 |
Equity | Ipca Labs. | 0.77 |
Equity | Balkrishna Inds | 1.52 |
Equity | Cipla | 1 |
Equity | ICRA | 0.54 |
Net CA & Others | Net CA & Others | 1.43 |
Fixed Deposits | Axis Bank | 0.55 |
Equity | Oracle Fin.Serv. | 0.4 |
Equity | Mah. Scooters | 0.14 |
Reverse Repo | C C I | 10.91 |
T Bills | TBILL-364D | 0.01 |
Derivatives – Stock Future | Reliance Industr | 0.02 |
Equity | Infosys | 1.58 |
Derivatives – Stock Future | Bank of Baroda | 0.07 |
Certificate of Deposits | Bank of Baroda | 0.06 |
Derivatives – Stock Future | Hind. Unilever | 0.12 |
Equity | HDFC Bank | 7.94 |
Commercial Paper | HDFC Bank | 0.06 |
Certificate of Deposits | St Bk of India | 0.06 |
Certificate of Deposits | ICICI Bank | 0.06 |
Equity | UTI AMC | 0.56 |
Derivatives – Stock Future | IndusInd Bank | 0.35 |
Equity | NMDC Steel | 0.33 |
Derivatives – Stock Future | Tata Motors | 0.07 |
Certificate of Deposits | Kotak Mah. Bank | 0.06 |
Certificate of Deposits | Axis Bank | 0.06 |
Certificate of Deposits | N A B A R D | 0.06 |
Derivatives – Stock Future | Bajaj Finance | 0.82 |
Derivatives – Stock Future | TCS | 0.05 |
Equity | Maruti Suzuki | 5.07 |
Derivatives – Stock Future | Tech Mahindra | 0.09 |
Derivatives – Stock Future | HDFC Life Insur. | 0.01 |
यहाँ एक सीधी गणना निकल के आती है कि जितने प्रतिशत shares म्यूचुअल फंड ने जिस मूल्य पर लिए होंगे उतना ही NAV में नुकसान होगा।आप यहाँ खुद देख सकते हैं कि म्यूचुअलफंड किस तरह रिस्क को कवर कर के चलते हैं । यह तरीका यदि आप अपने पोर्ट्फोलीओ मे अपनाए तो आप भी नुकसान से बच सकेंगे। क्या म्यूचुअल फंड में पैसा डूब सकता है ? इस जानकारी से आपको पता लग गया होगा ।
एसेट एलोकेशन से कमाई कैसे करें (How To Do Asset Allocation In Mutual Fund And Earn)
अभी तक आपको पता लग गया होगा कि डायवर्सिफिकेशन के लिए हमें इक्विटी फंड कमोडिटी फंड और डेट फंड में निवेश करना चाहिए। अब सवाल यह उठता है कि हम डायवर्सिफिकेशन के लिए कितने प्रतिशत कितने कैटिगरी में निवेश करें। इसी चीज को ऐसेट एलोकेशन के नाम से जाना जाता है।
एसेट एलोकेशन हमेशा अपने रिस्क प्रोफाइल के अनुसार की जाती है। अब यह रिस्क प्रोफाइल क्या होता है इसके बारे में लिए हम आपको बताते हैं।
हर व्यक्ति का फैमिली बैकग्राउंड और हर व्यक्ति की फैमिली कंडीशन अलग-अलग होती है,हर व्यक्ति अपनी क्षमता के अनुसार ही पैसों को खर्च,बचत और निवेश करता है।इन्हीं चीजों का आकलन करना अपना रिस्क प्रोफाइल जानना होता है।
रिस्क प्रोफाइल सामान्यतः Low, Moderate और High में विभाजित किया जाता है। विशेषज्ञों की राय के अनुसार यदि आप 100 में से अपनी उम्र घटा देते हैं तो उतने प्रतिशत आपको इक्विटी(Equity)में निवेश करना चाहिए। (उदाहरण यदि आप 25 वर्ष के हैं तो 100 – 25 =75%), बाकी 25% आप डेट/कमाडिटी फंड में निवेश कर सकते हैं।
ऐसेट ऐलकैशन के प्रकार (Asset Allocation Types)
स्ट्रेटजिक एलोकेशन (Strategic Asset Allocation)
अपने वित्तीय लक्षण यानी गोल को पाने के लिए आप यदि किसी विशेष रणनीति का इस्तेमाल करते हुए ऐसेट की ऐलकैशन करते हैं तो उसको स्ट्रैटेजिक एलोकेशन कहा जाता है। आइए इसको एक उदाहरण के रूप में समझते हैं-
अगर आप अपने निवेश का प्रतिशत एक निश्चित करते हैं , उदाहरण स्वरूप इक्विटी में 50% गोल्ड में 25 % ,डेट में 25% ,इस निश्चित प्रतिशत के निवेश को आप आखिर तक निभाते हैं जब तक आपका गोल(लक्ष्य) पूरा नहीं हो जाता तब तक इसमें कोई कोई बदलाव नहीं करते हैं,तो इसको स्ट्रैटेजिक एलोकेशन कहा जाएगा।
किसी भी पोर्टफोलियो में स्ट्रैटेजिक एलोकेशन का हिस्सा सबसे ज्यादा होना चाहिए ,यह एक अच्छे पोर्टफोलियो के निशानी होती है इसमें कोई बदलाव नहीं होना चाहिए।
टैक्टिकल एलोकेशन(Tactical Allocation)
अपने वित्तीय लक्ष्य को पाने के लिए यदि आप समय-समय परअपनी ऐसेट एलोकेशन में मार्केट की कंडीशन को देखते हुए बदलाव करते हैं तो इसको टैक्टिकल एलोकेशन कहा जाएगा।
टैक्टिकल एलोकेशन का मकसद पोर्टफोलियो में ऐसे अवसरों की तलाश करना है जिससे रिस्क एडजेस्टेड (कम जोखिम लेना) मुनाफा पोर्टफोलियो में बढ़ सके।
टैक्टिकल एलोकेशन का हिस्सा किसी भी पोर्टफोलियो में कम होना चाहिए। यदि आपइसका हिस्सा अधिक रखेंगे तो आपके पोर्टफोलियो में उतार-चढ़ाव ज्यादा होने की संभावना रहती है।
री बैलेंसिंग स्ट्रेटजी (Rebalancing Strategy)
अभी बैलेंसिंग स्ट्रेटजी एक ऐसी स्ट्रेटजी है जिसको किसी में भी फिट किया जा सकता है लिए इसको उदाहरण सहित समझते हैं।स्ट्रैटेजिक एलोकेशन में आप निवेश का प्रतिशत एसेट में फिक्स्ड रखते हैं।
अगर कुछ समय के बाद म्युचुअल फंड में उतार-चढ़ाव होता है एलोकेट किए हुए प्रतिशत में भी बदलाव होगा । मान लीजिए इक्विटी में 50% आप निवेश किया है और वह बढ़कर 55% हो जाता है तो तोआप 5% इक्विटी में से निकाल लेंगे और वहां निवेश कर देंगे जहां पर कमी रह गई है।
सामान्य भाषा में इसको ही री बैलेंसिंग कहा जाता है।
लार्ज कैप फंड क्या है,इसमें कमाई कैसे करें (What is Large Cap Fund,How To Earn From It )
लार्ज कैप म्यूचुअल फंड किसी भी पोर्ट्फोलिओ की रीढ़ की हड्डी होता है। आप कैसा भी इक्विटी पोर्ट्फोलीओ बनाए,उसमें लार्ज कैप का ऐलोकैशन अधिक होना चाहिए ,क्योंकि लार्ज कैप्स गिरावट को अच्छे से संभालते हैं । यदि अर्थव्यवस्था की गति नीचे की तरफ हो तो देर से गिरेंगे और यदि अर्थव्यवस्था बढ़ रही हो तो सबसे पहले बढ़ेंगे।
लार्ज कैप्स म्यूचुअल फंड्ज उन कम्पनियों के स्टॉक्स लेते हैं जिनका पूरे बाजार में पूंजी के आधार पर 1-100 तक नंबर आता हो।
लार्ज कैप फंड्ज अपने पोर्ट्फोलिओ में 80% तक लार्ज कैप स्टॉक्स रखते हैं ,बाकी की संख्या अन्य की होती हैं ।
लार्ज कैप से कमाई कैसे करें
लार्ज कैप फंड से कमाई के लिए इन बिंदुओं पर ध्यान दें –
- अपने पोर्ट्फोलीओ में इसका Allocation अधिक रखें ।
- निवेश से पहले फंड की निवेश रणनीति जाने ।
- अपने बेचमार्क के मुकाबले के प्रदर्शन जो जाँचे ।
- एक से अधिक लार्ज कैप फंड लें तो portfolio overlap का ध्यान रखें ।
- लार्ज कैप फंड का अपनी केटेगरी के प्रदर्शन को जाँचे ।
- यें फंड लंबी अवधि के लिए होते हैं ,इनको कम से कम 3 -5 वर्ष के लिए खरीदना चाहिए ।
फ्लेक्सी कैप फंड क्या होता है(What is Flexi Cap Fund)
आर्टिकल के शुरुआत में जैसे मैंने आपको बताया कि इक्विटी म्यूचुअल फंड कई प्रकार के होते हैं (उपर देखें )
फ्लेक्सी का अर्थ होता है लचीला होना,इसलिए फ्लेक्सी कैप फंड कितने भी प्रतिशत किसी भी कैटेगरी में पैसा कितने भी प्रतिशत लगा सकते हैं। फ्लेक्सी कैप स्कीम की इक्विटी या इक्विटी से संबंधित एसेट में न्यूनतम निवेश की सीमा 65% है। यह स्कीम 65% से अधिक भी इक्विटी में निवेश कर सकती हैं।
फ्लेक्सी कैप फंड की विशेषता यह है कि स्कीम किसी भी कैटेगरी में कितने प्रतिशत का निवेश कर सकती हैं। निवेशकों में फ्लेक्सी कैप की लोकप्रियता इसमें उनके किए गए निवेश से पता लगती है ।
जून 2023 के डाटा के अनुसार इस केटेगरी का AUM ( Asset Under Management) 2,72,743 करोड़ रुपये का है।
फ्लेक्सी कैप से कमाई कैसे करें
फ्लेक्सी कैप से कमाई के लिए इन बिंदुओं पर ध्यान दें –
- फ्लेक्सी कैप किसी भी केटेगरी में निवेश कर सकता है इसलिए अपने रिस्क के अनुसार फंड के निवेश प्रतिशत की जांच करें।
- फ्लेक्सी कैप में लार्ज कैप के मुकाबले अधिक परिवर्तनशील(Volatile) हो सकता है इसलिए फंड की निवेश नीति तो पढ़ लें ।
- फ्लेक्सी कैप फंड को पहले मल्टीकैप फंड के नाम से जाना जाता था । SEBI ने मल्टीकैप फंड के मूलभूत सिद्धांत में परिवर्तन कर दिया था ।
- यें फंड लंबी अवधि के लिए होते हैं ,इनको कम से कम 5 वर्ष के लिए खरीदना चाहिए ।
- कुछ फ्लेक्सी कैप फंड्ज अंतरष्ट्रीय स्टॉक्स मे भी निवेश करते हैं।
फोकस्ड फंड क्या होता है (What is Focussed Fund)
फोकस्ड (Focused) का अर्थ है किसी एक लक्ष्य पर केंद्रित होना। यह केटेगरी सिर्फ 30 स्टॉक्स पर अपना पोर्ट्फोलीओ बनाते हैं। इन फंड्स में स्टॉक्स(Shares) की मात्रा सीमित होती है।
जैसे दूसरे केटेगरी के फंड्स में स्टॉक्स की संख्या 100 तक जा सकती है पर इनमे ऐसा नहीं होता। स्कीम को अपने नियमों में घोषणा पहले करनी होती है कि वें लार्ज,मिड या स्मॉल कैप, किसमे निवेश करेंगे।
कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि अधिक डायवर्सिफिकेशन से रिटर्न प्रभावित हो सकता है। फोकस्ड फंड में सीमित संख्या का डायवर्सिफिकेशन होने से अधिक मुनाफे की संभावना रहती है।
फोकस्ड फंड से कमाई कैसे करें
फोकस्ड फंड से कमाई के लिए इन बिंदुओं पर ध्यान दें –
- इन फंडस में स्टॉक्स की संख्या सीमित होने से उतार चढ़ाव अधिक देखने को मिल सकता है ,इसलिए पोर्टफोलियो में इसका प्रतिशत कम रखें ।
- डायवर्सिफिकेशन कम होने के कारण ये फंड लंबे समय तक under perform पर सकता हैं ।
- इस केटेगरी के लिए निवेशक को फंड के बीटा वैल्यू को प्राथमिकता देना चाहिए।
मिडकैप फंड क्या होता है (What Is Mid Cap Fund)
पूंजी के आधार पर 101 से लेकर 250 वी रैंक तक की कंपनियों को मिड कैप कंपनी कहा जाता है। इन फंड्स में ज्यादा रिटर्न की अपेक्षा की सकती है।
देश की अच्छी अर्थव्यवस्था में इनका प्रदर्शन अच्छा रहता है परंतु जब खराब अर्थव्यवस्था की संभावना होती है तो इनका प्रदर्शन खराब हो सकता है ।
मिडकैप फंड्स में फंड मैनेजर को कम से कम 65% allocation मिड कैप कंपनीयों मे करना होता हैं ।
मिडकैप फंड से कमाई के लिए इन बिंदुओं पर ध्यान दें –
- मिडकैप कंपनीयां अभी भारत में growth phase में हैं ,इसलिए इनको Business Risk की संभावना अधिक रहती है ।
- बुरी परिस्थितियों में इन्हें नुकसान हो सकता है ,ये बंद भी हो सकती हैँ ।
- मिडकैप फंड्स में निवेश 5-7 सालों के लिए किया जाना चाहिए ।
- फंड बुरी परिस्थितियों मे कैसा रिटर्न रहा , इस पर नजर रखें ।
- बड़े AUM वाला फंड खरीदें ।
स्मॉल कैप म्यूचुअल फंड (Small Cap Mutual Fund)
स्मॉल कैप फंड में वें कंपनीयां होती हैं जिनकी बाजार पूंजी में रैंक 250 से आगे हो । इनकी संख्या सबसे ज्यादा है । स्मॉल कैप कंपनी नई होती हैं जिनका मुनाफा बहुत तेजी से बढ़ता है । इन कंपनियों पर बाजार के उतार चढ़ाव का बहुत नकारात्मक प्रभाव पड़ता है ।
स्मॉल कैप फंड्स में फंड मैनेजर को कम से कम 65% allocation स्मॉल कैप कंपनीयों मे करना होता हैं । फंड मैनेजर के लिए एक मुश्किल काम होता है क्योंकि इन कंपनीयों का floating stock कम होता हैं ।
कुछ पोपुलर फंड जैसे SBI Small Cap Fund , Nippon India small cap ने कुछ समय पहले अपनी स्कीम मे एकमुश्त (Lumpsum) निवेश कुछ समय के लिए बंद कर दिया है ।
ऐसा ये फंड्स इसलिए करते हैं क्योंकि स्मॉल कैप इंडेक्स जब भी बेतहाशा बढ़ता है तो इन स्कीमों मे निवेशकों का पैसा बहुत आने लगता है परंतु जैसा मैंने बताया, स्मॉल कैप कंपनीयों का floating stock कम होता है जिससे फंड मैनेजर नए stocks अच्छी valuation पर नहीं खरीद पाते ।
स्मॉल कैप फंड से कमाई के लिए इन बिंदुओं पर ध्यान दें –
- जो स्कीम इस केटेगरी में लंबे समय में दूसरों से आगे रहे , निवेशक बस उन पर ध्यान दें ।
- जिन स्कीम का AUM अधिक हो उनको ही अपने portfolio मे स्थान दें ।
- समाल कैप फंड में कम से कम 7 वर्ष या इससे अधिक के लिए निवेश करें ।
- सिर्फ बड़े AMC के स्मॉल कैप फंड्स लें ।
- यें फंड्स लंबी अवधि के लक्ष्य जैसे बच्चों की पढ़ाई, शादी या अपने retirement के लिए बेहतर होते हैं ।
- अपने risk profile के अनुसार ही इनका प्रतिशत अपने portfolio में निश्चित करें ।
निष्कर्ष (Conclusion)
- इक्विटी म्यूचुअल फंड में निवेश लंबी अवधि के लिए करें ।
- फंड्स के Financial Ratios का अध्ययन और विश्लेषण कैरेन ।
- फंड मैनेजर यदि बदल जाए तो स्कीम के प्रदर्शन पर नजर रखें ।
- यदि एक केटेगरी में एक से अधिक फंड्स लें तो ज्यादा portfolio overlap वाले ना लें ।
- यदि स्कीम अच्छा प्रदर्शन ना कर रही हो तो उसे कम से कम 2 वर्ष का समय दें ।
- याद रखे इक्विटी में निवेश धैर्य की मांग करता है।
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